दुष्यंत चौटाला: हरियाणा की खट्टर सरकार में बने रहना मजबूरी या ज़रूरी?
2021-01-13 09:08:29
किसानों के रोष के चलते हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की करनाल की रैली रद्द होने पर और क़रीब 900 लोगों पर मामला दर्ज़ होने पर राज्य में बड़ी हलचल शुरू हो गई है.
एक तरफ़ इंडियन नेशनल लोक दल के नेता अभय चौटाला ने अपना सशर्त त्याग पत्र विधान सभा अध्यक्ष को भेज दिया है, वहीं दूसरी तरफ़ जननायक जनता पार्टी (जजपा) के सभी विधायक और सीनियर नेता केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलने दिल्ली गए हैं.
बीबीसी से बात करते हुए जजपा के हरियाणा प्रधान निशान सिंह ने कहा कि उनकी मीटिंग का एजेंडा एक ही रहेगा कि किसान आंदोलन के चलते मामला संवेदनशील होता जा रहा है और केंद्र सरकार इसे ऐसे डील करे ताकि किसानों में और ज़्यादा रोष उत्पन्न ना हो.
उन्होंने कहा, "हम सरकार को वस्तुस्थिति बताने जा रहे हैं और आशा है कि किसानों का हल जल्दी ही निकलेगा."
ये पूछे जाने पर कि क्या किसानों की मांग के मुताबिक़ दुष्यंत चौटाला इस्तीफ़ा देंगे, तो निशान सिंह ने कहा कि दुष्यंत अपना काम कर रहे हैं और दुष्यंत का सम्बन्ध एक राज्य से है और किसानों की माँगें केंद्र सरकार से हैं.
निशान सिंह ने हरियाणा में बीजेपी से समर्थन वापिस लेने की बात से इनकार किया.
दुष्यंत पर परिवार की राजनीति का आरोप
डॉक्टर सिक्किम नैन ने जजपा पार्टी के उचाना हल्का अध्यक्ष पद से त्याग पत्र दे दिया था. उनका कहना है कि उन्होंने दुष्यंत चौटाला में चौधरी देवी लाल की छवि देखी थी और इसीलिए उचाना विधान सभा क्षेत्र से उनके लिए जी-जान लगा दिया था.
सिक्किम नैन ने कहा, "हम सबने दुष्यंत चौटाला को मनाने के लिए पूरा ज़ोर लगाया था कि वो भाजपा सरकार से अपना समर्थन वापस ले लें और किसानों के समर्थन में उतर जाएं. लेकिन दुष्यंत ने हमें नीचे देखने पर मजबूर कर दिया और गाँव वालों ने भी उनकी पार्टी को छोड़ दिया."
सिक्किम ने बताया कि अब वो पूरे ज़ोर से किसान आंदोलन के समर्थन में हैं और कुछ दिन पहले दुष्यंत चौटाला के उचाना हलके में होने वाले प्रोग्राम को भी विफल बनाने में साथ दिया था.
सिक्किम ने सवाल उठाया, "जब मुझे और गाँव वालों को ये लगा कि दुष्यंत ने सिर्फ़ अपने परिवार तक ही राजनीति को समेट लिया है ताकि अजय चौटाला जेल से बाहर रहें और वे सत्ता का अकेले ही फ़ायदा उठाते रहें, तब हम सबने जजपा को छोड़ दिया."
यहाँ यह बताना भी ज़रूरी हैं कि जब जजपा ने भाजपा को समर्थन देकर हरियाणा में सरकार बनाई थी तब जेल की सज़ा काट रहे अजय चौटाला ने भी पैरोल पर बाहर आकर दुष्यंत के शपथ समारोह में भाग लिया था. सज़ायाफ्ता अजय चौटाला को रातों रात जेल से बाहर देखकर लोगों ने सवाल उठाए थे कि कैसे जजपा के भाजपा को समर्थन देते ही अजय तुरंत जेल से बाहर आ गए.
संघ का साथ देने का इतिहास रहा है
विधानसभा में विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी भूपिंदर सिंह हुडा ने कहा कि उन्होंने तो जजपा की असलियत शुरू में ही लोगों के सामने ला दी थी.
उन्होंने कहा, "जिस दिन इन्होंने भाजपा की सरकार हरियाणा में बनवायी उसी दिन मैंने कहा था वोट किसी की और सपोर्ट किसी को."
हुडा ने कहा कि कुर्सी के लालच में दुष्यंत चौटाला का किसानों को समर्थन ना देना ही एक कारण है कि ये सरकार अभी तक बची हुई है.
हुडा ने दावा किया, "लेकिन जिस दिन भी विधानसभा सत्र होगा, मैं अविश्वास प्रस्ताव लेकर आऊंगा और उस दिन पता लग जाएगा कि कौन किसान के समर्थन में है और कौन किसान के ख़िलाफ़ खड़ा है."
पूरी स्थिति का आकलन करते हुए हरियाणा की राजनीति पर 'पॉलिटिक्स ऑफ़ चौधर' के लेखक डॉक्टर सतीश त्यागी कहते हैं कि किसानों के भारी विरोध के बावजूद भी हरियाणा में गठबंधन सरकार आराम से चल रही है क्योंकि दुष्यंत चौटाला कल की राजनीति के बजाय वर्तमान को देखकर फ़ैसले ले रहे हैं.
"एक तो अभी सरकार को चार साल बचे हुए है और दूसरा दुष्यंत वही कर रहे हैं जो हरियाणा में पहले से होता आया है."
वे कहते हैं, "चौधरी देवी लाल ने भी जन संघ का साथ दिया था. बंसी लाल ने भी जब अपनी पार्टी बनाई तो भाजपा का समर्थन लिया था और भजन लाल ने भी अपनी पार्टी बनाई तो भी भाजपा से गुरेज़ नहीं किया. ऐसा होते-होते भाजपा हरियाणा में एक छोटी-मोटी पार्टी से एक महाशक्ति बन कर उभर गई."
डॉक्टर त्यागी ने कहा, "शायद दुष्यंत सोच रहे हैं कि चार साल बाद जब चुनाव आएँगे तो पहले की तरह ही आगे भी लोग माफ़ कर देंगे और उस वक़्त कोई नया मुद्दा लोगों के दिमाग पर हावी होगा."